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उच्च शिक्षा विभाग का एक स्पष्टीकरण और प्रदेश के शिक्षित युवा चले गए बेरोजगारी के हाशिए पर।

उच्च शिक्षा विभाग का बेहुदा स्पष्टीकरण ।

दबंग न्यूज लाईव
सोमवार 25.08.2025

Sanjeev Shukla
रायपुरछत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा संचालनालय रायपुर ने 18 अगस्त 2025 को अतिथि व्याख्याता नीति 2024 की कंडिका 5.4 के संबंध मे स्पष्टीकरण जारी किया है और विभाग के इस स्पष्टीकरण के बाद प्रदेश के शिक्षित युवा एक झटके में अपने आप को ठगा महसुस करने लगे हैं । किसी प्रदेश में कोई नीति बनती है तो सबसे पहले ये देखा जाता है कि इस नीति से उनके प्रदेश के लोगों को कितना लाभ मिल रहा है लेकिन उच्च शिक्षा विभाग के इस नीति से अन्य प्रदेश के लोगों को सीधा लाभ प्राप्त हो रहा है और छत्तीसगढ़ के युवा फिर से बेरोजगारी के हाशिए पर चले गए हैं ।


उच्च शिक्षा विभाग के इस पत्र के अनुसार अब छत्तीसगढ के मूल निवासियों को अतिथि व्याख्याता के पद पर तभी प्राथमिकता मिलेगी जब वह समान श्रेणी का हो और मेरिट अंक भी समान हो। इस स्पष्टीकरण से अन्य प्रदेशों के आवेदक अब मेरिट सूची में उपर स्थान बनाकर चयनित हो रहे है। छत्तीसगढ के आवेदक योग्यता धारण करते हुये भी चयन से दूर हो गये है। उक्त स्पष्टीकरण के पश्चात कई महाविद्यालयों ने अपनी अंतिम मेरिट सूची मे संशोधन किया जिसके बाद जहां छत्तीसगढ के आवेदक का चयन हो रहा था वहां अब अन्य प्रान्त के आवेदक चयनित हो रहे है।


छत्तीसगढ राज्य में शासकीय महाविद्यालयों मे प्राध्यापकों की कमी हमेशा से एक बडी समस्या रही है। योग्य प्राध्यापकों की कमी से उच्च शिक्षा का लाभ वैसा नही मिल पा रहा जैसा उसका उद््देश्य रहा है। यही कारण है कि प्रदेश मे नियमित विद्यार्थी और स्वाघ्यायी छात्रों के ज्ञान और बौद्यिक स्तर मे ज्यादा अंतर दिखाई नही देता। प्रदेश मे सत्र 2024-2025 से स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है । यह शिक्षा नीति कागज पर तो असरदार दिखाई देती है परंतु इसके लिये जमीनी स्तर पर किसी प्रकार की कोई तैयारी जैसे समुचित संख्या में प्राध्यापकों की नियुक्ति और अधोसंरचा पर ध्यान नही दिया गया। नतीजा यह है कि पिछले एक वर्ष मे यह नीति केवल प्रवेश लो और परीक्षा दो तक ही सीमित रह गई है।


प्राध्यापकों और अध्ययन कक्षों की कमी ऐसी की अनेक महाविद्यालयों में समय सारिणी बन नही पा रही। उच्च शिक्षा विभाग के कार्य करने का ढर्रा इसी से समझा जा सकता है कि अकादमिक कैलेण्डर के अनुसार 1 जुलाई 2025 से अध्यापन प्रारंभ करना है परंतु अगस्त समाप्त हो रहा महाविद्यालयों में अतिथि व्याख्याताओं की भर्ती नही हो पाई है उपर से दिनांक 24/08/2025 के पत्र के द्वारा इस प्रक्रिया को रोकने के निर्देश जारी कर दिये गये है।
प्राध्यापकों के रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति करना शासन की प्राथमिकता मे दिखाई नही देता इसलिये प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में वर्षाे से अतिथि व्याख्याता की नियुक्ति की जाती रही है। विगत सत्र में नये सिरे से अतिथि व्याख्याता नीति 2024 बनी। इस नीति में सहायक प्राध्यापक एवं प्राध्यापकों के पद के विरूद्व अतिथि व्याख्याता की भर्ती करने हेतु विभिन्न नियम नये सिरे से बनाये गये है। इसके अनुसार पी.एच.डी /नेट,सेट/ एम.फिल उपाधि प्राप्त ही इस पद अतिथि व्याख्याता पद पर कार्य करने हेतु योग्य मानें जायेंगे। साथ ही मानदेय भी अधिकतम 50 हजार कर दिया गया है।

अतिथि व्याख्याता नीति 2024 जब लागू हुई तो उसकी कंडिका 5.4 मे छत्तीगढ के मूल निवासीयों को प्राथमिकता देने का उल्लेख है। विगत शिक्षा सत्र 2024-2025 मे जब नियुक्ति हुई तब इस संबंध मे अनेक महाविद्यालयो द्वारा विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया था कि प्राथमिकता किस तरह से देना है और उसका आधार क्या है। तब विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने कहा था कि प्रत्येक श्रेणी जैसे श्रेणी 1 पीएचडी में अन्य प्रांत के आवेदकों को उसी श्रेणी के अंत में रखा जायेगा। इसी तरह श्रेणी 2 नेट/सेट , श्रेणी 3 एमफिल में भी किये जाने का निर्देश प्राप्त हुआ था। इस प्रकार छत्तीसगढ के आवेदक मेरिट अंक कम होने के बावजूद भी अपनी श्रेणी में मेरिट में पहले रखे जाते थे।

सत्र 2024-25 मे प्रदेश के समस्त महाविद्यालयों मे इसी आधार पर चयन किये गये। हांलाकि फिर भी बडी संख्या में अन्य प्रान्त के आवेदक भी चयनित हुये। वर्तमान सत्र 2025-26 में भी इसी नियम से अतिथि व्याख्याताओं की भर्ती अनेक महाविद्यालयों में हुई और कई महाविद्यालयों में प्रक्रियाधीन है।परंतु शासन के 18 अगस्त के स्पष्टीकरण से चीजें बदल गई । इस स्पष्टीकरण के अनुसार अब चयन की प्रत्येक श्रेणी में मेरिट अंक के आधार पर अन्य प्रान्त के आवेदक चयनित होंगे कुल मिलाकर कंडिका 5.4 जिसमें छत्तीसगढ़ के आवेदकों को प्राथमिकता देने का उल्लेख है वह छलावा साबित हो रहा है ।

इस प्रक्रिया को लेकर छत्तीसगढ के आवेदकों में आक्रोश पनप रहा है। उनका कहना है कि जब प्रदेश मे योग्य उम्मीदवार है तो अन्य प्रान्तों के आवेदको को क्यो नियुक्त किया जा रहा है। यदि प्रदेश में योग्यताधारी आवेदक ना मिले तो अन्य प्रान्तों के आवेदको का चयन समझ आता है परंतु प्रदेश के युवाओं को बेरोजगार रख अन्य प्रान्तो के आवेदक का चयन अन्याय से कम नही है। किसी दो आवेदकों का मेरिट अंक भी समान हो यह रेयरेस्ट आफ द रेयर मामला है अतः प्रदेश के आवेदको को उसका फायदा मिलना असंभव है। उनका यह भी कहना है कि यह नीति छत्तीसगढ के निवासियों के लिये बनाई गई है या अन्य प्रांतों के आवेदकों के लिये।

प्रदेश के ऐसे युवा जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार शैक्षणिक योग्यता रखते है उनका कहना है कि प्रदेश के महाविद्यालयों में अब तक जितने भी अतिथि व्याख्याता की नियुक्ति की गई है सबकों निरस्त कर नये सिरे से नियुक्ति दी जाये और प्रदेश के युवाओं को ही नियुक्ति दी जायें । शासन को इस बात की भी जांच करानी चाहिये कि जैसे ही 2024 में अतिथि व्याख्याता नीति लागू हुई उसे बाद से प्राइवेट विश्वविद्यालयों से पीएचडी उपाधि प्राप्त लोगों की भीड कैसे आ गई। योग्य आवेदको ने यह आरोप भी लगाया है कि प्रदेश की प्राइवेट विश्वविद्यालय पैसे लेकर पीएचडी उपाधि बडी संख्या में बेच रहे है जिस पर शासन का कोई नियंत्रण नही है। अब इस मामले में जितनी जल्दी हो सके माननीय मुख्यमंत्रीजी और उच्चशिक्षा मंत्री को ध्यान देना चाहिये जिससे प्रदेश के युवा बेरोजगारों के साथ अन्याय ना हो पाये।

 

 

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